1. The spring (season)
2. Bloom
3. Merriment
4. Joviality
1. सोलहवें साल की बहार देखते ही बनती है ।
2. श्रोताओं ने संगीतज्ञ से चंगला सुनाने का आग्रह किया ।
3. टंकी श्रीराग की एक सहचरी है ।
4. बंगाला बंगाल राग की सहचरी है ।
5. शंकरा की उत्पत्ति शंकर राग से मानी जाती है ।
6. कामिनी कामोद राग की पत्नी है ।
7. श्रोताओं ने संगीतज्ञ से सरस्वती के स्वरों के बारे में बताने का अनुरोध किया ।
8. गायक सौदामनी गा रहा है ।
9. दीपिका हिंडोल राग की पत्नी मानी जाती है ।
10. खम्माच मालकोस राग की दूसरी रागिनी है ।
11. संगीतज्ञ चेतकी गा रहा है ।
12. श्रोताओं के आग्रह पर संगीतज्ञ ने चंदावती सुनाई ।
13. बंगालिका मेघराग की पत्नी मानी जाती है ।
14. संगीतकार पंचमी के बारे में विस्तार से बता रहा है ।
15. संगीतज्ञ धना के बारे में विस्तार से बता रहा है ।
16. धनाश्री श्रीराग की तीसरी पत्नी मानी जाती है ।
17. चित्रा भैरव राग की सहचरी मानी जाती है ।
18. संगीतकार छाया के बारे में बता रहा है ।
19. संगीतज्ञ रंभिनी के बारे में बता रहा है ।
20. वह केतकी गाने में मग्न है ।
21. संगीतकार रुद्राणी गा रहा है ।
22. संगीतज्ञ धवलश्री गा रहा है ।
23. लीलावती संपूर्ण जाति की रागिनी है ।
24. संगीतकार अंधकारी गा रहा है ।
25. संगीतज्ञ अंबुजा गा रही है ।
26. पहाड़ी आधी रात के समय गाई जाती है ।
27. कुछ विद्वान ललिता को मेघराग तो कुछ बसंत राग की सहचरी बताते हैं ।
28. संगीतज्ञ फूलबिरंज गा रहा है ।
29. ककुभा मालकोस की पाँचवीं रागिनी है ।
30. रसवती संपूर्ण जाति की रागिनी है ।
31. श्रोताओं ने संगीतज्ञ से पूर्वी गाने के लिए कहा ।
32. आसावरी प्रातःकाल गाई जाती है ।
33. वह सामंती गा रहा है ।
34. बहार वसंत ऋतु में रात के तीसरे पहर में गाई जाती है ।
35. संगीतज्ञजी देवाला के बारे में बता रहे हैं ।
36. सारंगा सारंग से उत्पन्न मानी जाती है ।
37. कालिंदी ओड़व जाति की एक रागिनी है ।
38. कौशिकी-कान्हड़ा कौशिकी और कान्हड़ा के योग से बनी है ।
39. संगीतज्ञ रत्नावली गा रहा है ।
40. संगीतज्ञ सोरठी गा रहा है ।
41. गुजरी दीपक राग की एक रागिनी है ।
42. टोड़ी के गाने का समय दस दंड से सोलह दंड तक का है ।
43. संगीतकार प्रदीपिका गा रहा है ।
44. वहला दीपक राग की संगिनी मानी जाती है ।
45. आभीरी की उत्पत्ति आभीर से हुई है ।
46. गायक वसंतभैरवी गा रहा है ।
47. संगीतज्ञ वराड़ी गा रहा है ।
48. आज संगीत की कक्षा में गुरुजी ने त्रोटक और त्रोटकी के बारे में विस्तार से बताया ।
49. संगीतज्ञ हाँबीर सुना रहा है ।
50. संगीतकार विलावली गा रहा है ।
51. संगीतज्ञ मोटकी गा रहा है ।
52. केदारी दीपक राग की पाँचवीं रागिनी है ।
53. सिंधवी भैरव राग की रागिनी है ।
54. गांधारी मेघराग की पाँचवीं रागिनी है ।
55. संगीतज्ञ नटमल्हारि के बारे में बता रहा है ।
56. श्रोता संगीतज्ञ से मधन सुनाने का आग्रह कर रहे हैं ।
57. जयतिश्री श्रीराग की एक रागिनी है ।
58. सुघराई-टोड़ी संपूर्ण जाति की एक रागिनी है ।
59. आज संगीत की कक्षा में गुरुजी ने सिंधुड़ा, सरस्वती आदि रागिनियों के बारे में बताया ।
60. गोंडकिरी गोंड़ राग का ही एक भेद है ।
61. अलहिया में सभी स्वर कोमल होते हैं ।
62. संगीतज्ञ शोभनी गा रहा है ।
63. कान्हड़ी दीपकराग की पत्नी मानी जाती है ।
64. मालवी श्रीराग की कई रागिनियों में से एक है ।
65. बहारगुर्जरी संपूर्ण जाति की एक रागिनी है ।
66. देशकली में गांधार, कोमल और बाकी सब स्वर लगते हैं ।
67. संगीतज्ञ रक्तहंसा के बारे में विस्तार से बता रहा है ।
68. देव गांधारी श्रीराग की भार्या मानी जाती है ।
69. संगीतज्ञ कुकुभा गा रहा है ।
70. बागेसरी संपूर्ण जाति की एक रागिनी है ।
71. संगीतज्ञ सुरकली सुना रहा है ।
72. कर्पूरगौरी संकर जाति की एक रागिनी है ।
73. देवगिरी हेमंत ऋतु में दिन के चौथे पहर से लेकर आधी रात तक गाई जाती है ।
74. रूपश्री सम्पूर्ण जाति की एक संकर रागिनी है ।
75. संगीतज्ञ मुद्राटोरी के बारे में बता रहा है ।
76. अष्टि दीपक राग की रागिनी है ।
77. संगीतज्ञ देशांकी, देशकरी आदि रागिनियों के बारे में बता रहा है ।
78. आनंदभैरवी भैरव राग की एक रागिनी मानी जाती है ।
79. संगीतज्ञ परासी गा रहा है ।
80. सैंधवी सम्पूर्ण जाति की एक रागिनी है ।
81. मालगुर्जरी सम्पूर्ण जाति की एक रागिनी है ।
82. संगीतज्ञ रम्या गा रहा है ।
83. मधुमाधवी भैरवराग की सहचरी है ।
84. संगीतकार हर्षनिस्वनी गा रहा है ।
85. संगीतज्ञ हिंडोली के बारे में बता रहा है ।
86. गायक द्रविड़ी गा रहे हैं ।
87. संगीतकार जैतश्री गा रहा है ।
88. तिलककामोद कामोद और विचित्र या कान्हड़ाकामोद और षड् के योग से बना है ।
89. संगीतज्ञ तनक गा रहा है ।
90. मल्लारी वसंत राग की रागिनी मानी जाती है ।
91. संगीतज्ञ सौराटी के बारे में विस्तार से बता रहा है ।
92. संगीतज्ञ सिंधूरी गा रहा है ।
93. संगीतज्ञ कर्मपंचमी गा रहा है ।
94. मालतीटोड़ी सम्पूर्ण जाति की रागिनी है ।
95. कर्णाटी मालव राग की संगिनी मानी जाती है ।
96. संगीतज्ञ अढाना के बारे में विस्तार से बता रहा है ।
97. संगीतकार अलहैया के बारे में विस्तार से बता रहा है ।
98. सूहा-टोड़ी संपूर्ण जाति की एक संकर रागिनी है ।
99. संगीतज्ञ साचरी गा रहा है ।
100. बड़हंसिका बड़हंस की संगिनी है ।
101. देवकिरि मेघ राग की पत्नी मानी जाती है ।
102. रेवा दीपक राग की रागिनी मानी जाती है ।
103. वसंत की बहार चहु ओर दिखाई दे रही है ।
104. बागों में हर तरफ बहार है ।
105. वसंत के आगमन पर प्रकृति खिल उठी है । / वसंत को कवियों ने ऋतुराज की संज्ञा दी है ।
106. सूर्यास्त के समय आकाश की छटा देखते ही बनती है ।
107. कश्मीर की सुंदरता देखते ही बनती है ।
1. बंगाला
2. शंकरी
3. शंकरा
4. सौदामिनी
5. सौदामनी
6. खम्माची
7. खंबायती
8. खम्माच
9. खंबायची
10. धनाश्री
11. धनाशरी
12. चित्रा रागिनी
13. बँगाला
14. रंभिनी रागिनी
15. रंभिनी
16. अंधकारी
17. अम्बुजा
18. अंबुजा
19. चित्रा
20. पूरबी
21. पूर्वी
22. आसावरी
23. असावरी
24. सामंती
25. सामन्ती
26. कालिन्दी
27. कालिंदी
28. अबीरा
29. आभीरी
30. वसंतभैरवी
31. अन्धकारी
32. हाँम्बीरी
33. केदारी
34. केदारा
35. सिन्धवी
36. सिंधवी
37. सिंध
38. सिन्ध
39. नटमल्लारि
40. नटमल्हारि
41. सुघराईटोड़ी
42. सुघराई टोड़ी
43. सुघराई-टोड़ी
44. सिंधुड़ा
45. हाँबीर
46. अलहिया
47. रक्तहंसा रागिनी
48. देव गांधारी
49. देव-गांधारी
50. देवगांधारी
51. मुद्रा-टोरी
52. आनन्दभैरवी
53. तिलक कामोद
54. मल्लारि
55. मल्लारी
56. नटमलारि
57. वसन्तभैरवी
58. सूहा-टोड़ी
59. सिन्धुड़ा
60. आनंदभैरवी
61. तिलककामोद
62. रक्तहंसा
63. अलैया
64. बहार
65. सुहावनापन
66. रौनक
67. रौनक़
68. विकास
69. प्रफुल्लता
70. बसंत
71. पिकानंद
72. वसंत ऋतु
73. बसंत ऋतु
74. पिकप्रिय
75. ऋतुराज
76. इष्य
77. वसन्त
78. माधव
79. शिशिरांत
80. बलांगक
81. वसंत
82. पिकानन्द
83. शिशिरान्त
84. पुष्पसमय
85. कुसुमाकर
86. कामसखा
87. ईष्म
88. हुस्न
89. सौन्दर्य
90. दीप्ति
91. सौंदर्य
92. इंदिरा
93. सुंदरता
94. छबि
95. सुन्दरता
96. इन्दिरा
97. जल्वा
98. शोभा
99. फिजा
100. रमणीयता
101. फिज़ा
102. ज़ेब
103. कांति
104. छवि
105. जीनत
106. ज़ीनत
107. धाम
108. कान्ति
109. जलवा
110. छटा
111. सारंग
112. जीन
113. मंजुलता
114. चारुता
115. सलोनापन
116. लालित्य
117. खूबसूरती
118. मोहकता
119. अभिरामता
120. लावण्य
121. सौष्ठव
122. मनोहरता
123. द्युति
124. नुनाई
125. कमनीयता
126. सौंदर्यता
127. आकर्षकता
128. सौन्दर्यता
129. काम्यता
130. रूप
131. सुरम्यता
132. मनोहरताई
133. सलोनपन
134. व्युष्टि
135. पतझड़
136. वसंतऋतु
137. आनंद
138. मजा
139. मौज
140. मस्ती
1. असौंदर्य
2. अपरूपता
3. असौन्दर्य
4. बदसूरती
5. करूपता
6. अपाटव
7. अरूपता
8. कुरूपता
9. खिजान
10. पतझड़
1. आलम
2. हालत
3. स्थिति
4. अवस्थान
5. अवस्था
6. सूरत
7. गत
8. दशा
9. हाल
10. वृत्ति
11. गति
12. स्थानक
13. स्टेज
14. रूप
15. अहवाल
16. रागिनी
17. रागिणी
18. रागनी
19. मौसिम
20. रुत
21. मौसम
22. ऋतु
23. समा
24. रितु
25. समाँ
26. समां
1. हुस्न
2. सुषमा
3. रूप लावण्य
4. रूप-लावण्य
5. अप्रतिम सौंदर्य
6. अतिसुंदरता
7. अतिसुन्दरता
8. अरूपता
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