1. एक अप्सरा
2. एक वर्णवृत्त जिसमें सोलह वर्ण होते हैं
3. एक रागिनी
4. वह काल जब चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होता है
5. सत्ताईस नक्षत्रों में से एक
6. अर्जुन की एक पत्नी
7. एक छंद जिसकी पाँचवीं, आठवीं और नौवीं मात्रा लघु एवं अंतिम मात्रा गुरु होती है
8. अंडी की जाति का एक पेड़
9. एक प्रकार की लता जिसके पत्ते चूहे के कान के समान होते हैं
10. एक पौधा जिसके सुगंधित बीज मसाले और दवा के काम में आते हैं
11. एक तरह का सुगंधित बीज जो दवा और मसाले के रूप में प्रयुक्त होता है
12. एक प्रकार की घास
13. एक प्रकार की लता जिसमें छोटे और पीले फूल लगते हैं
1. साधारणी का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
2. विद्योत् का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
3. प्रभा एक कुशल नर्तकी थी ।
4. सौदामनी का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
5. नीलांजसा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
6. सूचिका का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
7. अलंबुषा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
8. क्षेमा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
9. जंबुमति का वर्णन ग्रंथों में मिलता है ।
10. दंडगौरी का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
11. पंचचूड़ा का वर्णन रामायण में मिलता है ।
12. चित्रा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
13. दिव्या का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
14. मंजुघोषा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
15. रंभा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
16. लक्षणा का वर्णन महाभारत में मिलता है ।
17. नंदा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
18. हंसपदी का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
19. अजगंधा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
20. रक्षिता का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
21. रुचि का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
22. असिता का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
23. सुबाहु का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
24. केशिनी का वर्णन पुराणों में है ।
25. सुकेशी का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
26. विश्वाची का वर्णन रामायण में मिलता है ।
27. मनोहरा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
28. निम्नलोचा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
29. मित्रा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
30. अद्रिका का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
31. चित्रलेखा का वर्णन साहित्यिक कवियों ने भी किया है ।
32. सुरथा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
33. वरंवरा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
34. सुभगा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
35. महाचित्ता का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
36. विद्युत्पर्णी का वर्णन महाभारत में मिलता है ।
37. समिची का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
38. अनुम्लोचा इंद्रपुरी की सुंदर अप्सराओं में से एक थी ।
39. हिमा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
40. सुक्रीड़ा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
41. हेमदंता का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
42. सुदंता का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
43. सुभुजा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
44. रितुशाला का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
45. सुगंधा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
46. घृताची का वर्णन रामायण में मिलता है ।
47. सुतारा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
48. शुचिका का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
49. सुमुखी बहुत ही सुंदर थी ।
50. पूर्वचित्ति इंद्र की सभा में नाचती थी ।
51. विद्युता का वर्णन महाभारत में मिलता है ।
52. सुरता का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
53. सुप्रिया का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
54. प्रजागरा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
55. प्रम्लोचा का वर्णन ग्रंथों में मिलता है ।
56. सुप्रतिष्ठता का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
57. सुरजा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
58. एक बार घृतार्ची को देखकर भरद्वाज ऋषि की काम वासना जागृत हो गई थी ।
59. सहजन्या का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
60. सेनजित् का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
61. सोमा का वर्णन महाभारत में मिलता है ।
62. चारुकेशी का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
63. सुग्रीवा बहुत रुपवती थी ।
64. ग्रंथों के अनुसार पुंजिकस्थली ही अगले जन्म में अंजना हुई ।
65. वामना का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
66. मिश्रकेशी मेनका की सखी थी ।
67. काहला का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
68. लोहित्या का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
69. स्वयंप्रभा इंद्र को बहुत प्रिय थी ।
70. सुधामुखी का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
71. अनवद्या का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
72. तिलोत्तमा परम रुपवती थी ।
73. नागदंता का वर्णन रामायण में मिलता है ।
74. विजयंती का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
75. स्तावा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
76. सुयशा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
77. मेनका शकुन्तला की माता थी ।
78. सुवृत्ता का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
79. वीणावती का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
80. सुमंगला का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
81. उर्वशी को अपनी गलती के कारण स्वर्ग से मृत्युलोक में आकर रहना पड़ा ।
82. अनपाया का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
83. सुवर्णमेखली का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
84. सुदती का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
85. सुमदनात्मजा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
86. सुप्रतिष्ठिता का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
87. सुवपु का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
88. उमलोचा का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
89. प्रमाथिनी का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
90. मंदोदरी हेमा के गर्भ से उत्पन्न हुई थी ।
91. चित्रा में पहले तीन नगण, फिर दो यगण होते हैं ।
92. श्रोताओं ने संगीतज्ञ से चंगला सुनाने का आग्रह किया ।
93. टंकी श्रीराग की एक सहचरी है ।
94. बंगाला बंगाल राग की सहचरी है ।
95. शंकरा की उत्पत्ति शंकर राग से मानी जाती है ।
96. कामिनी कामोद राग की पत्नी है ।
97. श्रोताओं ने संगीतज्ञ से सरस्वती के स्वरों के बारे में बताने का अनुरोध किया ।
98. गायक सौदामनी गा रहा है ।
99. दीपिका हिंडोल राग की पत्नी मानी जाती है ।
100. खम्माच मालकोस राग की दूसरी रागिनी है ।
101. संगीतज्ञ चेतकी गा रहा है ।
102. श्रोताओं के आग्रह पर संगीतज्ञ ने चंदावती सुनाई ।
103. बंगालिका मेघराग की पत्नी मानी जाती है ।
104. संगीतकार पंचमी के बारे में विस्तार से बता रहा है ।
105. संगीतज्ञ धना के बारे में विस्तार से बता रहा है ।
106. धनाश्री श्रीराग की तीसरी पत्नी मानी जाती है ।
107. चित्रा भैरव राग की सहचरी मानी जाती है ।
108. संगीतकार छाया के बारे में बता रहा है ।
109. संगीतज्ञ रंभिनी के बारे में बता रहा है ।
110. वह केतकी गाने में मग्न है ।
111. संगीतकार रुद्राणी गा रहा है ।
112. संगीतज्ञ धवलश्री गा रहा है ।
113. लीलावती संपूर्ण जाति की रागिनी है ।
114. संगीतकार अंधकारी गा रहा है ।
115. संगीतज्ञ अंबुजा गा रही है ।
116. पहाड़ी आधी रात के समय गाई जाती है ।
117. कुछ विद्वान ललिता को मेघराग तो कुछ बसंत राग की सहचरी बताते हैं ।
118. संगीतज्ञ फूलबिरंज गा रहा है ।
119. ककुभा मालकोस की पाँचवीं रागिनी है ।
120. रसवती संपूर्ण जाति की रागिनी है ।
121. श्रोताओं ने संगीतज्ञ से पूर्वी गाने के लिए कहा ।
122. आसावरी प्रातःकाल गाई जाती है ।
123. वह सामंती गा रहा है ।
124. बहार वसंत ऋतु में रात के तीसरे पहर में गाई जाती है ।
125. संगीतज्ञजी देवाला के बारे में बता रहे हैं ।
126. सारंगा सारंग से उत्पन्न मानी जाती है ।
127. कालिंदी ओड़व जाति की एक रागिनी है ।
128. कौशिकी-कान्हड़ा कौशिकी और कान्हड़ा के योग से बनी है ।
129. संगीतज्ञ रत्नावली गा रहा है ।
130. संगीतज्ञ सोरठी गा रहा है ।
131. गुजरी दीपक राग की एक रागिनी है ।
132. टोड़ी के गाने का समय दस दंड से सोलह दंड तक का है ।
133. संगीतकार प्रदीपिका गा रहा है ।
134. वहला दीपक राग की संगिनी मानी जाती है ।
135. आभीरी की उत्पत्ति आभीर से हुई है ।
136. गायक वसंतभैरवी गा रहा है ।
137. संगीतज्ञ वराड़ी गा रहा है ।
138. आज संगीत की कक्षा में गुरुजी ने त्रोटक और त्रोटकी के बारे में विस्तार से बताया ।
139. संगीतज्ञ हाँबीर सुना रहा है ।
140. संगीतकार विलावली गा रहा है ।
141. संगीतज्ञ मोटकी गा रहा है ।
142. केदारी दीपक राग की पाँचवीं रागिनी है ।
143. सिंधवी भैरव राग की रागिनी है ।
144. गांधारी मेघराग की पाँचवीं रागिनी है ।
145. संगीतज्ञ नटमल्हारि के बारे में बता रहा है ।
146. श्रोता संगीतज्ञ से मधन सुनाने का आग्रह कर रहे हैं ।
147. जयतिश्री श्रीराग की एक रागिनी है ।
148. सुघराई-टोड़ी संपूर्ण जाति की एक रागिनी है ।
149. आज संगीत की कक्षा में गुरुजी ने सिंधुड़ा, सरस्वती आदि रागिनियों के बारे में बताया ।
150. गोंडकिरी गोंड़ राग का ही एक भेद है ।
151. अलहिया में सभी स्वर कोमल होते हैं ।
152. संगीतज्ञ शोभनी गा रहा है ।
153. कान्हड़ी दीपकराग की पत्नी मानी जाती है ।
154. मालवी श्रीराग की कई रागिनियों में से एक है ।
155. बहारगुर्जरी संपूर्ण जाति की एक रागिनी है ।
156. देशकली में गांधार, कोमल और बाकी सब स्वर लगते हैं ।
157. संगीतज्ञ रक्तहंसा के बारे में विस्तार से बता रहा है ।
158. देव गांधारी श्रीराग की भार्या मानी जाती है ।
159. संगीतज्ञ कुकुभा गा रहा है ।
160. बागेसरी संपूर्ण जाति की एक रागिनी है ।
161. संगीतज्ञ सुरकली सुना रहा है ।
162. कर्पूरगौरी संकर जाति की एक रागिनी है ।
163. देवगिरी हेमंत ऋतु में दिन के चौथे पहर से लेकर आधी रात तक गाई जाती है ।
164. रूपश्री सम्पूर्ण जाति की एक संकर रागिनी है ।
165. संगीतज्ञ मुद्राटोरी के बारे में बता रहा है ।
166. अष्टि दीपक राग की रागिनी है ।
167. संगीतज्ञ देशांकी, देशकरी आदि रागिनियों के बारे में बता रहा है ।
168. आनंदभैरवी भैरव राग की एक रागिनी मानी जाती है ।
169. संगीतज्ञ परासी गा रहा है ।
170. सैंधवी सम्पूर्ण जाति की एक रागिनी है ।
171. मालगुर्जरी सम्पूर्ण जाति की एक रागिनी है ।
172. संगीतज्ञ रम्या गा रहा है ।
173. मधुमाधवी भैरवराग की सहचरी है ।
174. संगीतकार हर्षनिस्वनी गा रहा है ।
175. संगीतज्ञ हिंडोली के बारे में बता रहा है ।
176. गायक द्रविड़ी गा रहे हैं ।
177. संगीतकार जैतश्री गा रहा है ।
178. तिलककामोद कामोद और विचित्र या कान्हड़ाकामोद और षड् के योग से बना है ।
179. संगीतज्ञ तनक गा रहा है ।
180. मल्लारी वसंत राग की रागिनी मानी जाती है ।
181. संगीतज्ञ सौराटी के बारे में विस्तार से बता रहा है ।
182. संगीतज्ञ सिंधूरी गा रहा है ।
183. संगीतज्ञ कर्मपंचमी गा रहा है ।
184. मालतीटोड़ी सम्पूर्ण जाति की रागिनी है ।
185. कर्णाटी मालव राग की संगिनी मानी जाती है ।
186. संगीतज्ञ अढाना के बारे में विस्तार से बता रहा है ।
187. संगीतकार अलहैया के बारे में विस्तार से बता रहा है ।
188. सूहा-टोड़ी संपूर्ण जाति की एक संकर रागिनी है ।
189. संगीतज्ञ साचरी गा रहा है ।
190. बड़हंसिका बड़हंस की संगिनी है ।
191. देवकिरि मेघ राग की पत्नी मानी जाती है ।
192. रेवा दीपक राग की रागिनी मानी जाती है ।
193. स्वाति का जन्म चित्रा नक्षत्र में हुआ है ।
194. उत्तरा-फाल्गुनी चन्द्रमा के पथ पर पड़नेवाला बारहवाँ नक्षत्र है ।
195. पुनर्वसु चन्द्रमा के मार्ग में पड़नेवाला सातवाँ नक्षत्र है ।
196. चित्रा चन्द्रमा के पथ पर पड़नेवाला चौदहवाँ नक्षत्र है ।
197. उत्तराषाढ़ा नक्षत्र चन्द्रमा के मार्ग पर पड़नेवाला इक्कीसवाँ नक्षत्र है ।
198. चान्द्र-पथ के बाईसवें नक्षत्र का नाम श्रवण नक्षत्र है ।
199. सुभद्रा कृष्ण और बलराम की बहन थीं ।
200. चित्रांगदा राजा चित्रवाहन की पुत्री थी ।
201. प्रमीला का वर्णन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है ।
202. उलूपी एक नागकन्या थी ।
203. चंचला के प्रत्येक चरण में सोलह मात्राएँ होती हैं ।
204. दंती की जड़, पत्तियाँ आदि औषध के रूप में उपयोग होती हैं ।
205. मूसाकानी औषध के रूप में प्रयुक्त होती है ।
206. उसने अपने घर के पीछे अजवायन लगा रखा है ।
207. अजवायन का अधिकतर उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है ।
208. गँदीला काली,ऊसर और तर भूमि में उगता है ।
209. वे अर्जुन की कटाई कर रहे हैं ।
210. किसान ने खेत में से वंशपत्री को उखाड़ दिया ।
211. गाँडर मूज की तरह का होता है ।
212. गोनरा आकार में लंबा होता है ।
213. खदी विशेषकर तालों के पास उगती है ।
214. घमूह करील की झाड़ियों के नीचे हुआ करती है ।
215. झबधरी गेहूँ की फसल को हानि पहुँचाती है ।
216. टरगी चारे के रूप में उपयोग होती है ।
217. तंदुआ बारहमासी पाया जाता है ।
218. अगिया कोदों तथा ज्वार के पौंधों को जला देती है ।
219. किसान खेत में से अगिन को उखाड़ रहा है ।
220. भाँवर कागज बनाने के काम आता है ।
221. लड़के ने मंथानक को उखाड़ दिया ।
222. जो भैंस अनजान खाती है उसका दूध नशीला हो जाता है ।
223. मंगला चारे के लिए बरी काट रही थी ।
224. बल्वजा आकार में मोटी होती है ।
225. टैन से चमड़ा कमाया जाता है ।
226. हरीचाह की जड़ से नीबू जैसी सुगंध आती है ।
227. भैंसें पलवान को बड़े चाव से खाती हैं ।
228. खेत में जगह-जगह घोमसा उग आई है ।
229. गांडी को चौपाए बड़े चाव से चरते हैं ।
230. लौंगरा बरसात में उगता है ।
231. गनकेरुआ का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में होता है ।
232. गोंदरी पानी में उगती है ।
233. बंसा धान के खेत में उगती है ।
234. गोमूत्र औषध के रूप में भी प्रयुक्त होती है ।
235. बनरीहा का सूत बन सकता है ।
236. कूसल के डंठलों की झाड़ू बनती है ।
237. सुरारी बरसात में उगती है ।
238. किसान खेत की मेड़ पर उगे हुए चपरैला को उखाड़ रहा है ।
239. भुइँकाँड़ा की जड़ में प्याज की तरह गोल गाँठ पड़ती है ।
240. लमजक से अच्छी ख़ुशबू आती है ।
241. भुरत बरसात में उगता है ।
242. कुछ भँगेड़ी बगई को भाँग के साथ पीते हैं ।
243. कुछ गरीब लोग पलिंजी के दानों को खाते भी हैं ।
244. बाँसुली फसलों के लिए बहुत हानिकारक होती है ।
245. भुइँआँवला दवा के काम में आता है ।
246. नरई जलाशयों के पास उगती है ।
247. गनेल छप्पर छाने के काम आती है ।
248. बेवर से बनी रस्सी खाट बुनने के काम में आती है ।
249. भावँर कागज बनाने के काम में आता है ।
250. लामय ऊसर भूमि में उगता है ।
251. वह तृणपत्रिका ढूँढ रहा है ।
252. खेत में जगह-जगह रसाम्लक उग आया है ।
253. घोड़े रतवा को बड़े चाव के साथ खाते हैं ।
254. खेतों में मधाना उग आया है ।
255. पल्लिवाह लाल रंग का होता है ।
256. मजीठ की सूखी जड़ एवं डंठलों से लाल रंग प्राप्त होता है ।
1. सौदामिनी
2. सौदामनी
3. अलंबुषा
4. अलम्बुषा
5. जम्बुमति
6. दण्डगौरी
7. पञ्चचूड़ा
8. रम्भा
9. नंदा
10. नन्दा
11. पंचचूड़ा
12. अजगंधा
13. अजगन्धा
14. रंभा
15. जंबुमति
16. वरम्वरा
17. दंडगौरी
18. हेमदन्ता
19. हेमदंता
20. सुदंता
21. सुगन्धा
22. सुदन्ता
23. सुगंधा
24. सेनजित
25. सेनजित्
26. विजयंती
27. विजयन्ती
28. वरंवरा
29. बंगाला
30. शंकरी
31. शंकरा
32. खम्माची
33. खंबायती
34. खम्माच
35. खंबायची
36. धनाश्री
37. धनाशरी
38. चित्रा रागिनी
39. बँगाला
40. रंभिनी रागिनी
41. रंभिनी
42. अंधकारी
43. अम्बुजा
44. अंबुजा
45. चित्रा
46. पूरबी
47. पूर्वी
48. आसावरी
49. असावरी
50. सामंती
51. सामन्ती
52. कालिन्दी
53. कालिंदी
54. अबीरा
55. आभीरी
56. वसंतभैरवी
57. अन्धकारी
58. हाँम्बीरी
59. केदारी
60. केदारा
61. सिन्धवी
62. सिंधवी
63. सिंध
64. सिन्ध
65. नटमल्लारि
66. नटमल्हारि
67. सुघराईटोड़ी
68. सुघराई टोड़ी
69. सुघराई-टोड़ी
70. सिंधुड़ा
71. हाँबीर
72. अलहिया
73. रक्तहंसा रागिनी
74. देव गांधारी
75. देव-गांधारी
76. देवगांधारी
77. मुद्रा-टोरी
78. आनन्दभैरवी
79. तिलक कामोद
80. मल्लारि
81. मल्लारी
82. नटमलारि
83. वसन्तभैरवी
84. सूहा-टोड़ी
85. सिन्धुड़ा
86. आनंदभैरवी
87. तिलककामोद
88. रक्तहंसा
89. अलैया
90. त्वाष्ट्री
91. त्वाष्ट्र
92. चित्रा नक्षत्र
93. उत्तर-फाल्गुनी नक्षत्र
94. अर्यमा
95. उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र
96. उत्तराफाल्गुनी
97. उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र
98. उत्तरा फाल्गुनी
99. उत्तरफाल्गुनी
100. अर्कभ
101. अर्जमा
102. उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र
103. उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र
104. उत्तरा-फाल्गुनी
105. उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र
106. अर्य्यमा
107. पुनर्वसु नक्षत्र
108. पुनर्वसु
109. यामक
110. उत्तराषाढ़ा नक्षत्र
111. उत्तराषाढ़ा
112. श्रवणा नक्षत्र
113. श्रवणा
114. श्रवण नक्षत्र
115. वासु
116. श्रवण
117. सात्वती
118. सुभद्रा
119. ब्रह्मरूपक
120. चंचला
121. विशाकर
122. रोचनी
123. दंत-मूलिका
124. चक्रदंती
125. मुकुलक
126. वृषपर्णी
127. दंती
128. चक्रदन्ती
129. नागस्तोफा
130. शीघ्र
131. विषभद्रा
132. सर्पदंष्ट्री
133. दन्त-मूलिका
134. विषभद्रिका
135. सर्पदंष्ट्रा
136. दन्ती
137. वृषा
138. मूसाकानी लता
139. मूषाकर्णी
140. न्यग्रोधिका
141. पत्रश्रेणी
142. न्यग्रोधी
143. न्यग्रोधा
144. उंदुरकर्णी
145. विक्रान्ता
146. मूसाकानी
147. विक्रांता
148. फञ्जिपत्रिका
149. वृश्चिकर्णी
150. मूषिकपर्णी
151. वृश्यचंडी
152. वृश्यचण्डी
153. मूषककर्णी
154. पत्रशृंगी
155. फंजिपत्रिका
156. वातारि
157. वस्तमोदा
158. यवानी
159. दीपनीया
160. तीव्रगन्धा
161. ब्रह्मकोशी
162. अजवाईन
163. शूलहन्त्री
164. तीव्रगन्धिका
165. अजमूद
166. तीव्रा
167. यमानिका
168. ब्रह्मदर्भा
169. हस्ती
170. ब्रह्मकुशा
171. भूतिक
172. बस्तमोदा
173. तीव्रगंधिका
174. शूलहंत्री
175. दीपनी
176. यूका
177. अजवायन
178. यमानी
179. अजमोद
180. शिखिमोदा
181. अजवाइन
182. अजमोदा
183. जटामाँसी
184. तीव्रगंधा
185. उग्रगन्धा
186. मिषिका
187. अगंधा
188. उग्रगंधा
189. अजमोदिका
190. उग्रा
191. जीरिका
192. वंशपत्री
193. गंडाली
194. गंड दूर्वा
195. उशीर
196. वीरभद्रक
197. गाँडर दूब
198. गण्डदूर्बा
199. गण्ड-दूर्वा
200. गंड-दूर्वा
201. वीरण
202. गंड-दूर्बा
203. लामज्जक
204. गण्ड दूर्बा
205. वारितर
206. वीरभद्र
207. गाडर दूब
208. गण्डदूर्वा
209. खस
210. गंडदूर्बा
211. मीनाक्षी
212. गाँडर
213. मीननेत्रा
214. गाडर
215. मालादूर्वा
216. गंडदूर्वा
217. गण्ड दूर्वा
218. गण्ड-दूर्बा
219. अवदाह
220. गंड दूर्बा
221. नलद
222. गोनरा
223. गुंडतृण
224. अवदान
225. अगिया घास
226. शबल
227. मन्थानक
228. बाँसा
229. अगिया
230. बल्वजा
231. बल्वज
232. मंथानक
233. नीलू
234. पलवा
235. नीलपत्र
236. गोंदरी घास
237. लाल-घास
238. गोंदरी
239. ज्वरांकुश
240. लमज्जुक
241. पानीयाश्ना
242. पलवान
243. लमजक
244. इक्षुदर्भ
245. तृणपत्रिका
246. तृणपत्री
247. सुगुण्डा
248. सुगुंडा
249. मजीठ
250. फञ्जी
251. रक्तांगी
252. लांगली
253. हेमपुष्पी
254. रक्तालता
255. मंडूका
256. वस्त्रभूषणा
257. भण्डीतकी
258. रागांगी
259. ब्रह्ममण्डूकी
260. वस्त्ररंजनी
261. ताम्रवल्ली
262. मण्डूकपर्णी
263. चित्रपर्णी
264. रक्ता
265. योजनवल्ली
266. समंगा
267. भंडीरी
268. मण्डूका
269. योजनपर्णी
270. भंडीतकी
271. मंडूकपर्णी
272. ब्रह्ममंडूकी
273. भंडीरलतिका
274. रक्तयष्टि
275. अरुन
276. अरुण
277. वरांगी
278. भण्डीरी
279. अरुणा
280. मंजिष्ठा
281. भण्डीरलतिका
282. फंजी
283. ंकरी
1. दिव्यस्त्री
2. देवांगना
3. अमरस्त्री
4. गगनाङ्गना
5. स्वर्गवेश्या
6. देवगणिका
7. गगनांगना
8. वेदवती
9. सरग-तिय
10. सुरकामिनी
11. त्रिदशवधू
12. दिव्यांगना
13. देवाङ्गना
14. अमराङ्गना
15. अपछरा
16. दिव्याङ्गना
17. स्वर्वेश्या
18. देव नर्तकी
19. अमरांगना
20. अरुणप्रिया
21. कंचनी
22. शंखिनी
23. रतिमदा
24. अप्सरा
25. स्वर्वधू
26. स्पर्शानंदा
27. स्पर्शानन्दा
28. वर्णिकछंद
29. वर्ण वृत्त
30. वर्णिकछन्द
31. वर्णिकवृत्त
32. वर्णिक वृत्त
33. वर्णिक-वृत्त
34. वर्णिक छन्द
35. वार्णिक छंद
36. वर्णिक छंद
37. वर्ण-वृत्त
38. वृत्त
39. वार्णिक छन्द
40. वर्णवृत्त
41. रागिनी
42. रागिणी
43. रागनी
44. नक्षत्र
45. नछत्र
46. सारंग
47. उड़ु
48. उड़ुचर
49. आकाशचारी
50. क्षत्र
51. पौराणिक महिला
52. पौराणिक औरत
53. पौराणिक स्त्री
54. पौराणीय महिला
55. मात्रिक छन्द
56. मात्रिक छंद
57. स्कन्धी
58. भूमिजात
59. रूखरा
60. पल्लवी
61. विटप
62. अनोकह
63. जर्ण
64. अर्क
65. तरुवर
66. अमंद
67. अमन्द
68. दरख़्त
69. पेड़
70. पादप
71. तरु
72. रूँख
73. स्कंधी
74. विटपी
75. शिखरी
76. रूखड़ा
77. नख़्ल
78. शिखी
79. बीरो
80. साखी
81. वृक्ष
82. रूख
83. प्रतिबन्धक
84. अघ्रिप
85. पुलाकी
86. अग
87. आसना
88. दरख्त
89. प्रतिबंधक
90. साखि
91. रुक्ष
92. द्रुम
93. नख्ल
94. स्कन्धा
95. बल्ली
96. वेल्लि
97. व्रतती
98. व्रतति
99. वल्लि
100. लती
101. वल्ली
102. लता
103. शिफा
104. वल्लरि
105. वल्लरी
106. बेल
107. वल्लिका
108. स्कंधा
109. वीरुध
110. पौदा
111. पौधा
112. मसाला
113. वीज
114. आहार मसाला
115. बीज
116. बीया
117. घास
118. तृण
119. शस्य
120. महावरा
121. मोहना
122. खर
123. शाद
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