1. शिक्षण की एक शाखा जिसमें विज्ञान और कॉमर्स के विषयों को छोड़कर अन्य विषयों का अध्ययन या अध्यापन किया जाता है
2. मरीचि ऋषि की पत्नी जो कर्दम ऋषि और देवहूति की पुत्री थीं
3. एक वर्णवृत्त
4. किसी कार्य को भली-भाँति करने का कौशल, विशेषतः ऐसा कार्य जिसके संपादन के लिए ज्ञान के अतिरिक्त कौशल और अभ्यास की आवश्यकता हो
5. चित्र, ग्रंथ, वास्तु आदि के रूप में बनाई हुई वस्तु
6. कला संबंधी वह कर्म जिसके संपादन के लिए ज्ञान के अतिरिक्त कौशल और अभ्यास की आवश्यकता हो
7. चंद्रमा या उसके प्रकाश का सोलहवाँ अंश या भाग
1. नागरिक शास्त्र, राजनीति शास्त्र, नृत्य, संगीत, आदि सब कला के अंतर्गत आते हैं ।
2. कश्यप मुनि कला के गर्भ से उत्पन्न हुए थे ।
3. हंस के प्रत्येक चरण में एक एक भगण और दो गुरु होते हैं ।
4. प्रतिष्ठा में चार वर्ण होते हैं ।
5. तार में अठारह वर्ण होते हैं ।
6. वाम के प्रत्येक चरण में सात जगण और एक यगण होता है ।
7. इंद्रवज्रा में त, त, ज, र एवं गुरु होते हैं ।
8. माया के प्रत्येक चरण में क्रम से भगण, तगण, मगण, भगण और एक गुरु वर्ण होता है ।
9. वितान के प्रत्येक चरण में सगण, भगण एवं दो दो गुरु होते हैं ।
10. हीर के प्रत्येक चरण में क्रम से भगण, सगण, नगण, जगण, नगण और रगण होते हैं ।
11. चंद्रकांता में पंद्रह वर्ण होते हैं ।
12. निसि के प्रत्येक चरण में एक भगण और एक लघु होता है ।
13. तुंग के प्रत्येक चरण में दो नगण तथा दो गुरु होते हैं ।
14. रामा के प्रत्येक चरण में क्रम से तगण, यगण एवं दो लघु वर्ण होते हैं ।
15. स्त्री में दो गुरु होते हैं ।
16. तामरस के प्रत्येक चरण में एक नगण, दो जगण एवं एक यगण होता है ।
17. बाला के प्रत्येक चरण में तीन तीन रगण और एक गुरु होता है ।
18. भाम के प्रत्येक चरण में क्रम से भगण, मगण और अंत में तीन सगण होते हैं ।
19. कला के प्रत्येक चरण में एक भगण और एक गुरु होता है ।
20. शोभा के प्रत्येक चरण में यगण, मगण, दो नगण एवं दो गुरु होते हैं ।
21. गजगति के प्रत्येक चरण में नगण, भगण और एक-एक लघु तथा गुरु होते हैं ।
22. चंडरसा के प्रत्येक चरण में एक नगण और एक यगण होता है ।
23. चंद्रवर्त्म के प्रत्येक चरण में र, न, भ एवं स होते हैं ।
24. चंद्रावर्ता के प्रत्येक पद में चार नगण एवं एक सगण होता है ।
25. पंक्ति के प्रत्येक चरण में एक भगण और अंत में दो गुरु होते हैं ।
26. नंदन के प्रत्येक चरण में क्रम से नगण, जगण, भगण, जगण और दो रगण होते हैं ।
27. नंदिनी में तेरह वर्ण होते हैं ।
28. बंधु के प्रत्येक चरण में तीन भगण एवं दो गुरु होते हैं ।
29. नगनिका के प्रत्येक चरण में एक यगण तथा एक गुरु होता है ।
30. शंभु के प्रत्येक चरण में सगण, तगण, यगण, भगण, दो मगण एवं एक गुरु होता है ।
31. नलिनी के प्रत्येक चरण में पाँच सगण होते हैं ।
32. पाईता में एक मगण, एक भगण तथा एक सगण होता है ।
33. वर्द्धमान के चारो चरणों में वर्णों की संख्या अलग-अलग होती है ।
34. माधव के प्रत्येक चरण में आठ जगण होते हैं ।
35. विजया में आठ वर्ण होते हैं ।
36. भक्ति के प्रत्येक चरण में तगण, यगण एवं अंत में दो गुरु होते हैं ।
37. भद्रक के प्रत्येक चरण में क्रम से भगण, रगण, नगण, रगण, नगण और एक गुरु होता है ।
38. आकृति में पाँच से बाईस वर्ण होते हैं ।
39. मंदाकिनी के प्रत्येक चरण में क्रम से दो नगण एवं दो रगण होते हैं ।
40. यशोदा के प्रत्येक चरण में एक जगण तथा दो गुरु वर्ण होते हैं ।
41. लक्षी के प्रत्येक चरण में आठ रगण होते हैं ।
42. अश्वललित तेईस वर्णों का होता है ।
43. शंखनारी के प्रत्येक चरण में दो यगण होते हैं ।
44. हंसी के प्रत्येक चरण में दो मगण, एक तगण, एक सगण एवं एक गुरु होता है ।
45. मणिमाला के प्रत्येक चरण में क्रम से तगण, यगण, तगण एवं यगण होते हैं ।
46. युक्ता में क्रम से दो नगण और एक मगण होता है ।
47. मोदक के प्रत्येक चरण में चार भगण होते हैं ।
48. कुसुमितलतावेल्लिता में अठारह वर्ण होते हैं ।
49. विद्युत्माली के प्रत्येक चरण में क्रमशः भगण,मगण और अंत में दो गुरु होते हैं ।
50. सजुता के प्रत्येक चरण में एक सगण, दो जगण एवं एक गुरु होता है ।
51. सायक के प्रत्येक चरण में क्रमशः सगण, भगण, तगण, एक लघु तथा एक गुरु होता है ।
52. रुचिरा के प्रत्येक चरण में क्रम से जगण, भगण, सगण, जगण एवं अंत में एक गुरु होता है ।
53. बृहती के प्रत्येक चरण में नौ वर्ण होते हैं ।
54. वाणिनी के प्रत्येक चरण में क्रम से नगण, जगण, भगण, जगण, रगण एवं एक गुरु होता है ।
55. सुखमा के प्रत्येक तगण, यगण, भगण और एक गुरु होता है ।
56. ललिता के प्रत्येक चरण में क्रम से तगण,जगण और रगण होते हैं ।
57. द्रुतविलंबित के प्रत्येक चरण में एक नगण, दो भगण और एक रगण होता है ।
58. ललना के प्रत्येक चरण में भगण, मगण एवं दो सगण होते हैं ।
59. मनोरमा के प्रत्येक चरण में तीन तगण एवं एक गुरु होता है ।
60. नाराच के प्रत्येक चरण में दो नगण एवं चार रगण होते हैं ।
61. सीता के प्रत्येक चरण में रगण, तगण, मगण, यगण, और रगण होते हैं ।
62. तीर्णा के प्रत्येक चरण में एक नगण एवं एक गुरु होता है ।
63. लीला के प्रत्येक चरण में क्रम से भगण, नगण और एक गुरु होता है ।
64. नील के प्रत्येक चरण में सोलह वर्ण होते हैं ।
65. मृगी के प्रत्येक चरण में एक रगण होता है ।
66. सिंहनाद के प्रत्येक चरण में क्रम से सगण, जगण, सगण एवं एक गुरु होता है ।
67. विपुला के प्रत्येक चरण में मगण,रगण और दो लघु होते हैं ।
68. धरा के प्रत्येक चरण में एक तगण और एक गुरु होता है ।
69. निशिपाल के प्रत्येक चरण में क्रम से भगण, जगण, सगण, नगण और रगण होते हैं ।
70. संयुत के प्रत्येक चरण में एक सगण, दो जगण एवं एक गुरु होता है ।
71. मोटनक के प्रत्येक चरण में क्रम से तगण, जगण, एक लघु और एक गुरु होता है ।
72. पुष्पदाम के प्रत्येक चरण में सोलह वर्ण होते हैं ।
73. शिष्या के प्रत्येक चरण में सात गुरु होते हैं ।
74. मणि गुण के प्रत्येक चरण में चार नगण एवं एक सगण होता है ।
75. मेघविस्फूर्जिता के प्रत्येक चरण में क्रम से यगण, मगण, नगण, सगण, ठगण, रगण और एक गुरु होता है ।
76. विपिनतिलका के प्रत्येक चरण में क्रम से नगण, सगण, नगण और दो रगण होते हैं ।
77. मोद के प्रत्येक चरण में पाँच भगण, एक मगण, एक सगण और एक गुरु होता है ।
78. करता के प्रत्येक चरण में एक नगण, एक लघु तथा एक गुरु होता है ।
79. शालिनी के प्रत्येक चरण में क्रम से एक यगण, दो तगण और अंत में दो गुरु होते हैं ।
80. मधुमती में दो नगण और एक गुरु होता है ।
81. सुख के प्रत्येक चरण में आठ सगण एवं दो लघु होते हैं ।
82. सुषमा में दस वर्ण होते हैं ।
83. मोतियदाम के प्रत्येक चरण में चार जगण होते हैं ।
84. मयूरगति के प्रत्येक चरण में क्रम से पाँच यगण, एक मगण एवं अंत में एक भगण होता है ।
85. दीपकमाला के प्रत्येक चरण में भगण, मगण, जगण और गुरु होता है ।
86. माणवक्रीड़ा के प्रत्येक चरण में एक भगण, एक तगण एवं दो लघु होते हैं ।
87. हारित के प्रत्येक चरण में क्रम से दो तगण एवं दो गुरु होते हैं ।
88. मध्या के प्रत्येक चरण में तीन वर्ण होते हैं ।
89. महामोदकारी के प्रत्येक चरण में छह यगण होते हैं ।
90. मयूरसारिणी में तेरह वर्ण होते हैं ।
91. उपचित्र विषम चरणों में तीन सगण,एक लघु और एक गुरु तथा सम चरणों में तीन भगण और दो गुरु होते हैं ।
92. सोमवल्लरी के प्रत्येक चरण में रगण, जगण, रगण, जगण एवं रगण होते हैं ।
93. दोधक के प्रत्येक चरण में तीन भगण एवं दो गुरु वर्ण होते हैं ।
94. शशिवदना के प्रत्येक चरण में एक नगण एवं एक यगण होता है ।
95. विजोहा के प्रत्येक चरण में दो रगण होते हैं ।
96. दुर्मिल के प्रत्येक चरण में आठ सगण होते हैं ।
97. चौबंसा के प्रत्येक चरण में एक नगण और एक यगण होता है ।
98. गरुड़रुत में कुल सोलह वर्ण होते हैं ।
99. दुर्मिलका के प्रत्येक चरण में तेइस वर्ण होते हैं ।
100. विद्युल्लेखा के प्रत्येक चरण में दो मगण होते हैं ।
101. रूपक्रांता के प्रत्येक चरण में जगण, रगण, जगण, रगण, जगण तथा अंत में एक गुरु और एक लघु होता है ।
102. प्रभद्रक में पंद्रह वर्ण होते हैं ।
103. प्रवरललिता के प्रत्येक चरण में क्रमशः यगण, मगण, नगण, सगण, रगण तथा एक गुरु होता है ।
104. हलमुखी के प्रत्येक चरण में रगण, नगण, और सगण होते हैं ।
105. मणिबंध के प्रत्येक चरण में भगण, मगण एवं सगण होते हैं ।
106. असंबधा के प्रत्येक चरण में म, त, न, स और दो गुरु होते हैं ।
107. हाकली के प्रत्येक चरण में तीन भगण और एक गुरु होता है ।
108. भ्रमरविलासिता के प्रत्येक चरण में क्रम से मगण, भगण, और नगण होते हैं ।
109. मत्ताक्रीड़ा के प्रत्येक चरण में क्रम से दो मगण, एक तगण, चार नगण तथा अंत में एक लघु एवं एक गुरु होता है ।
110. मत्ता के प्रत्येक चरण में क्रम से मगण, भगण, सगण एवं एक गुरु होता है ।
111. विद्याधारी के प्रत्येक चरण में चार मगण होते हैं ।
112. सुखेलक के प्रत्येक चरण में क्रम से नगण, जगण, भगण, जगण और रगण होते हैं ।
113. नीलस्वरूप के प्रत्येक चरण में तीन भगण और दो गुरु होते हैं ।
114. सुनंदिनी के प्रत्येक चरण में सगण, जगण, सगण, जगण और एक गुरु होता है ।
115. मालाधर के प्रत्येक चरण में क्रम से नगण,सगण,जगण,सगण,यगण तथा अंत में लघु और गुरु होते हैं ।
116. सुभद्रिका के प्रत्येक चरण में नगण, नगण, रगण, लघु और गुरु होते हैं ।
117. नराज के प्रत्येक चरण में सोलह वर्ण होते हैं ।
118. वसुमती के प्रत्येक चरण में तगण और सगण होते हैं ।
119. मानहंस के प्रत्येक चरण में सगण,जगण,जगण,भगण और रगण होता है ।
120. मदलेखा के प्रत्येक चरण में सात वर्ण होते हैं ।
121. तनुमध्या के प्रत्येक चरण में एक तगण और एक यगण होता है ।
122. कुसुमविचित्रा के प्रत्येक चरण में न, य, न, य होता है ।
123. बिज्जूहा के प्रत्येक चरण में दो रगण होते हैं ।
124. तोटक के प्रत्येक चरण में चार सगण होते हैं ।
125. शैलशिखा के प्रत्येक चरण में उन्नीस वर्ण होते हैं ।
126. मोतिएदाम के प्रत्येक चरण में चार जगण होते हैं ।
127. सुमानिका में सात वर्ण होते हैं ।
128. विवुधप्रिया के प्रत्येक चरण में रगण, सगण, जगण, भगण और रगण होते हैं ।
129. नांदीमुखी के प्रत्येक चरण में दो नगण, दो तगण तथा दो गुरु होते हैं ।
130. मृदंगक में पंद्रह वर्ण होते हैं ।
131. त्वरितगति के प्रत्येक चरण में नगण, जगण, नगण और एक गुरु होता है ।
132. रणहंस के प्रत्येक चरण में क्रम से सगण, जगण, भगण एवं रगण होते हैं ।
133. सौरभक के पहले चरण में सगण, जगण, सगण एवं लघु, दूसरे चरण में नगण, सगण, जगण एवं गुरु, तीसरे चरण में रगण, नगण, भगण एवं गुरु और चौथे चरण में सगण, जगण, सगण, जगण एवं गुरु होता है ।
134. शार्दूल-ललित के प्रत्येक चरण में क्रम से मगण, सगण, जगण, सगण, तगण और एक गुरु होता है ।
135. हाकलिका के प्रत्येक चरण में पंद्रह वर्ण होते हैं ।
136. लवली के पहले चरण में सोलह, दूसरे में बारह, तीसरे में आठ और चौथे में बीस वर्ण होते हैं ।
137. अमृतधारा के पहले चरण में बीस, दूसरे में बारह, तीसरे चरण में सोलह और चौथे चरण में आठ अक्षर होते हैं ।
138. मत्तेवविक्रीड़ित के प्रत्येक चरण में एक्कीस वर्ण होते हैं ।
139. भुजंगसंगता के प्रत्येक चरण में नौ वर्ण होते हैं ।
140. मृगेंद्रमुख में तेरह वर्ण होते हैं ।
141. मोहठा के प्रत्येक चरण में तीन रगण एवं एक गुरु होता है ।
142. नर्दटक के प्रत्येक चरण में सत्रह वर्ण होते हैं ।
143. सुखदानी के प्रत्येक चरण में आठ सगण और एक गुरु होता है ।
144. विमोहा के प्रत्येक चरण में दो रगण होते हैं ।
145. नगानिका के प्रत्येक चरण में चार-चार अक्षर होते हैं ।
146. मणिगुण के प्रत्येक चरण में क्रम से चार नगण एवं एक सगण होता है ।
147. प्रबोधिता के प्रत्येक चरण में क्रम से सगण, जगण, सगण, रगण और अंत में एक गुरु होता है ।
148. प्रमिताक्षरा के प्रत्येक चरण में बारह वर्ण होते हैं ।
149. उसकी कला का लोहा सभी मानते हैं ।
150. आजकल गाँधी मैदान में भारतीय कलाकृतियों की प्रदर्शनी चल रही है ।
151. कलाकारी सबके बस की बात नहीं ।
152. पूरनमासी का चंद्रमा अपनी सोलहों कलाओं से युक्त होता है ।
1. तारवृत्त
2. तार
3. तारक
4. इन्द्रवज्रा
5. वितान वृत्त
6. चन्द्र-कान्ता
7. चंद्र-कांता
8. चन्द्रकान्ता
9. चंद्रकांता
10. तुंगा
11. गजगति वर्णवृत्त
12. गजगति
13. चण्डरसा
14. चन्द्रवर्त्म
15. चन्द्रावर्ता
16. नंदन
17. नन्दन
18. नन्दिनी
19. बन्धु
20. क्रीड़ा
21. नगन्निका छंद
22. नगन्निकाछन्द
23. नगन्निकाछंद
24. नगनिकाछंद
25. नगन्निका छन्द
26. नगनिका छंद
27. नगनिका
28. शम्भु
29. शंभु
30. भ्रमरवली
31. मनहरण
32. पाईता
33. वर्द्धमान
34. वर्धमान
35. मन्दाकिनी
36. बंधु
37. तुंग
38. अश्वललित
39. अद्रि-तनया
40. नंदिनी
41. संखनारी
42. शंखनारी
43. इंद्रवज्रा
44. नलिनी
45. पइता
46. द्रुतविलम्बित
47. सुंदरी
48. द्रुतविलंबित
49. ललनावृत्त
50. ललना वर्णवृत्त
51. सुन्दरी
52. वितान
53. प्रियावृत्त
54. निशिपालिका
55. निशिपालक
56. मणि गुण
57. मंदाकिनी
58. अद्रितनया
59. दीपकमाला वर्णवृत्त
60. हारित
61. विजोहा
62. मदनमनोरमा
63. चंडरसा
64. चंद्रवर्त्म
65. चंद्रावर्ता
66. विज्जोहा
67. रूपक्रांता
68. मणिबंध
69. मणिमध्य
70. निशिपाल
71. असम्बधा
72. ललना
73. दीपकमाला
74. असंबधा
75. शशिकला
76. नीलस्वरूप
77. सुनन्दिनी
78. सुनंदिनी
79. मानहंस
80. मृगी
81. मणिबन्ध
82. नीलस्वरूपक
83. दुर्मिल
84. नान्दीमुखी
85. शार्दूल-लसित
86. शार्दूल-ललित
87. शार्दूलललित
88. रूपक्रान्ता
89. नांदीमुखी
90. भुजङ्गसङ्गता
91. मृगेन्द्रमुख
92. मृगेंद्रमुख
93. मानसहंस
94. शार्दूललसित
95. भुजंगसंगता
96. हारी
97. कला
98. फ़न
99. हुनर
100. फन
101. विद्या
102. कलाकृति
103. रचित-कृति
104. कला कृति
105. कला-कृति
106. रचितकृति
107. रचित कृति
108. कलाकारी
109. शिल्प
110. शिल्पकारी
111. कला कर्म
112. फ़नकारी
113. फनकारी
114. इंदुकला
115. इंदु-रेखा
116. चंदकपुष्प
117. चन्दकपुष्प
118. चंद्रकला
119. इन्दुकला
120. इन्दुरेखा
121. चन्द्ररेखा
122. शशिखंड
123. इंदु कला
124. इंदुरेखा
125. शशिखण्ड
126. शशिलेखा
127. शशिरेखा
128. इन्दु-रेखा
129. चन्द्रकला
130. चंद्ररेखा
131. इन्दुका
1. विषय
2. पौराणिक महिला
3. पौराणिक औरत
4. पौराणिक स्त्री
5. पौराणीय महिला
6. वर्णिकछंद
7. वर्ण वृत्त
8. वर्णिकछन्द
9. वर्णिकवृत्त
10. वर्णिक वृत्त
11. वर्णिक-वृत्त
12. वर्णिक छन्द
13. वार्णिक छंद
14. वर्णिक छंद
15. वर्ण-वृत्त
16. वृत्त
17. वार्णिक छन्द
18. वर्णवृत्त
19. सजुता
20. लियाकत
21. उपयुक्तता
22. हुनर
23. सलीक़ा
24. माद्दा
25. क़ाबिलियत
26. काबिलियत
27. अर्हता
28. क़ाबिलीयत
29. काबिलीयत
30. लियाक़त
31. इस्तेदाद
32. सलीका
33. इल्मीयत
34. सामर्थ्य
35. क्षमता
36. योग्यता
37. मानव-कृत वस्तु
38. मानवकृति
39. मानव-कृति
40. मानव निर्मित वस्तु
41. मानव कृति
42. कृत्रिम वस्तु
43. करम
44. आमाल
45. काम
46. करनी
47. कर्म
48. कार्य
49. कृत्य
50. कृति
51. पुरजा
52. अंशक
53. भंग
54. हिस्सा
55. पुरज़ा
56. भाग
57. खण्ड
58. विभाग
59. पुर्ज़ा
60. खंड
61. पुर्जा
62. अंग
63. भङ्ग
64. अंश
65. कल
66. टुकड़ा
1. माया
2. नाराचिका
3. सजुता
4. नक्काशी
5. शमशीरबाजी
6. शिल्पकला
7. म्यूज़िक
8. स्थापत्यकला
9. दांव
10. तक्षणकला
11. इबारत
12. तलवारबाजी
13. आशु-लिपि
14. हठ विद्या
15. लेखन-शैली
16. मोज़ैक
17. संगीत
18. निर्माणकला
19. सुलेखन
20. बान्धनी
21. शमसीरबाज़ी
22. शमसेरबाजी
23. शिल्पविद्या
24. चित्रकला
25. हठ योग
26. भाषा शैली
27. शमसेरबाज़ी
28. स्थापत्य कला
29. तलवारबाज़ी
30. शमशेरबाज़ी
31. बाणविद्या
32. असिकला
33. ललित कला
34. कुविद्या
35. बाण-विद्या
36. चित्रकारी
37. म्यूजिक
38. शार्टहैंड
39. पेंच
40. बन्धेज
41. अभिनीति
42. वास्तुशिल्प
43. हठविद्या
44. अपविद्या
45. असिक्रीड़ा
46. धनुर्विद्या
47. कौचुमार
48. आशुलिपि
49. तक्षण-कला
50. तक्ष-कला
51. तक्षण कला
52. नाट्यकला
53. शिक्षण-कला
54. तक्षकला
55. शमसीरबाजी
56. फाइन आर्ट्स
57. तीरंदाजी
58. मार्शल र्ट
59. शिक्षण कला
60. तक्ष-कर्म
61. ठगविद्या
62. मोजैक
63. चारुलेखन
64. अभिनय
65. तीरन्दाजी
66. तक्षण
67. बाँधनी
68. शमशीरबाज़ी
69. तीरन्दाज़ी
70. लेखन शैली
71. दाँव
72. शिक्षणकला
73. प्रयोग
74. बांधनी
75. आलेख्य-विद्या
76. वास्तु कला
77. बाण विद्या
78. वास्तुकला
79. चाल
80. नक्क़ाशी
81. तक्षकर्म
82. शमशेरबाजी
83. तक्ष
84. शैली
85. मोज़ेक
86. हठयोग
87. मोजेक
88. तीरंदाज़ी
89. बंधेज
90. पेच
91. तक्ष कला
92. आशु-लिि
93. मार्शल आर्ट
94. त्रिविम मूर्तिकला
95. लोक-कला
96. बैनर
97. त्रिआयामी मूर्तिकला
98. लोककला
99. गीत संगीत
100. रचना
101. गीत-संगीत
102. क़िताब
103. लोक कला
104. तसवीर
105. प्रकाशन
106. आलेख्य
107. बेल
108. बेल पट्टी
109. पुस्तक
110. किताब
111. चित्र
112. साहित्यिक कृति
113. तस्वीर
114. साहित्यिक रचना
115. मूर्ति कला
116. शिल्पकारी
117. हस्त शिल्प
118. मीना
119. मूर्तिकला
120. हस्तकला
121. दस्तकारी
122. हस्तशिल्प
123. मीनाकारी
124. कारीगरी
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